नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के भागीदारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग समय के साथ और गहरा हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक ऐसा माहौल बनाया है, जिसमें अधिक सहयोग की संभावनाओं की तलाश की जा सकती है।
जयशंकर ने अमेरिका में दूसरी बार ट्रंप सरकार के आने को व्यापार के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण बदलाव बताते हुए कहा कि अगल-अलग देशों की पहले की सरकार के अनुभवों से ही अगली सरकार के बारे में नीति तैयार की जाती है। उन्होंने क्षेत्रीय बदलावों के बारे में भी चर्चा की और कहा कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक और सामाजिक संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हुए हैं।
विदेश मंत्री ने अमेरिका-चीन के बीच बढ़ती तनातनी, यूक्रेन संकट और ग्लोबल साउथ के देशों में बढ़ती महंगाई और व्यापार में उतार-चढ़ाव का जिक्र करते हुए कहा दुनिया अब पहले से कहीं अधिक कठिन हो गई है और ऐसी परिस्थितियों में हमें अधिक मित्रों और साझेदारों की जरूरत है।
जयशंकर ने चीन की आक्रामक व्यापार शैली के प्रति बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच कहा कि निवेश समेत आर्थिक निर्णयों के दौरान ‘राष्ट्रीय सुरक्षा की शर्त’ को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा अगर हम हथियारीकरण के युग में नहीं हैं तो हम तेजी से लाभ उठाने के युग में हैं। इसलिए नीति निर्माताओं को निवेश सहित आर्थिक निर्णयों के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा के फिल्टर लगाने होंगे। यह प्रवृत्ति पूरे विश्व में है और अगर हम इसे नजरअंदाज करेंगे तो यह हमारे लिए ही खतरनाक होगा। व्यापार में सावधानी बरती जानी चाहिए, क्योंकि विश्व में वाणिज्य और आपूर्ति श्रृंखला की प्रकृति ऐसी है कि परंपरागत सावधानियां हमेशा पर्याप्त नहीं होतीं।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)