कजान। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के तीसरे दिन ‘ब्रिक्स आउटरीच’ सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान जयशंकर ने एक अधिक समतामूलक वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए पांच सूत्री मंत्र देते हुए वैश्विक अवसंरचना में विकृतियों को सुधारने पर जोर दिया।
विदेश मंत्री ने पांच सूत्री मंत्र देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थापित संस्थानों और तंत्रों में सुधार करने और लचीली, अनावश्यक एवं छोटी आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करने के लिए अधिक उत्पादन केंद्र बनाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करने पर जोर दिया। उन्होंने कनेक्टिविटी विकल्पों के माध्यम से वैश्विक बुनियादी ढांचे में विकृतियों को ठीक करने की बात कही। इसके अलावा प्रासंगिक और साझा हितों वाले अनुभवों और नई पहलों को साझा करने पर भी जोर दिया।
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, जयशंकर ने अपने संबोधन में पीएम मोदी के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा यह युद्ध का युग नहीं है। संघर्षों और तनाव से प्रभावी तरीके से निपटना आज के समय की विशेष जरूरत है। विवादों और मतभेदों का समाधान संवाद और कूटनीति से निकाला जाना चाहिए।
उन्होंने ब्रिक्स सत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून का बिना किसी अपवाद के पालन होना चाहिए और आतंकवाद के प्रति कतई बर्दाश्त नहीं करने वाला रुख अपनाना चाहिए। विदेश मंत्री ने इस बात की ओर संकेत दिया कि ब्रिक्स फोरम को यह समझना होगा कि वैश्वीकरण के लाभ ‘बहुत असमान’ रहे हैं, कोविड महामारी और अनेक संघर्षों ने वैश्विक दक्षिण (कम आय वाले और विकासशील देश) के बोझ को बढ़ा दिया है और स्वास्थ्य, खाद्य तथा ईंधन सुरक्षा को लेकर चिंताएं विशेष रूप से चिंताजनक हैं।
जयशंकर ने सत्र से इतर ग्लोबल साउथ के कई नेताओं के साथ बातचीत भी की। बता दें कि इससे पहले यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने अनिश्चितता एवं पनपते संघर्षों के बीच दुनिया को शांति का संदेश दिया था।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)