शशि प्रकाश की फिल्म में दिखी राममंदिर आंदोलन को लेकर गोरक्षपीठ के संघर्ष की कहानी

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लखनऊ। अयोध्या में राममंदिर आंदोलन को लेकर नाथ संप्रदाय के अति प्राचीन मठ गोरक्षपीठ (गोरखपुर, यूपी) के संघर्षों को बताने वाली, शिक्षाविद् शशि प्रकाश सिंह की डॉक्यूमेंट्री फिल्म लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो वर्ष पहले 1855 में ही गोरक्षपीठ ने राम मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष प्रारंभ कर दिया गया था, जो की अब गोरक्षपीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पूर्ण हुआ है।


प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले से राममंदिर आंदोलन से जुड़ी रही है गोरक्षपीठ।


शशि प्रकाश की इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की किस तरह से योगी आदित्यनाथ के दादा गुरुमहंत दिग्विजय नाथ ने 1949 में रामलला की मूर्तियों के प्रकटीकरण के दौरान राम मंदिर निर्माण की पृष्ठभूमि तैयार की उसके बाद उनके शिष्य और योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने इस पूरे मामले को आगे बढ़ाया और आज योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उसका सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है।
इस डाक्यूमेंट्री के निर्माता ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन के निदेशक और राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके है।
प्रख्यात शिक्षाविद् शशि प्रकाश सिंह ने बताया कि इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने को लेकर उन्होंने कई किताबों का अध्ययन किया। उन्होंने नाथ संप्रदाय के जानकार महर्षि योगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर प्रदीप राव, यूपी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक (आईएएस) शिशिर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार, पत्रकार, मृत्युंजय कुमार, गोरखनाथ मंदिर के द्वारिका प्रसाद तिवारी समेत कई महत्वपूर्ण लोगों से बातचीत के बाद इस अति महत्वपूर्ण विषय पर, एक शोधपरक, जनाकारीपूर्ण व प्रामाणिक डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया है।
शशि प्रकाश की इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की, किस तरह से 1949 में अयोध्या के तत्कालीन जिला अधिकारी के. के. नायर, लॉन्ग टेनिस खेलने के शौकीन थे, वे दिग्विजय नाथ से बहुत प्रभावित थे। किस तरह से महंत अवैद्यनाथ नाथ द्वारा 1986 में ताला खुलवाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के साथ उनकी बैठक हुई थी। इसके अलावा दलित जाति के कामेश्वर चौपाल से शिलान्यास महंत अवैद्यनाथ के कहने पर ही करवाया गय था।
इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की योगी आदित्यनाथ की गोरक्षपीठ ऊंच नीच, जाति, पांति व भेदभाव को नहीं मानती है, व सभी धर्मो और जातियों को साथ लेकर चलने वाली पीठ रही है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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