श्रीलंका के तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करने पर “भारत” का जोर
मानवाधिकार परिषद का 54वाँ सत्र जिनीवा में 11 सितम्बर को आरम्भ हुआ और 13 अक्टूबर तक चलेगा। पाँच सप्ताह की इस अवधि में अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, हेती, म्याँमार, निकारागुआ, श्रीलंका, सूडान समेत अन्य देशों में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा होगी। मानवाधिकार परिषद के 54वें सत्र में श्रीलंका में सुलह, जवाबदेही और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना विषय पर ओएचसीएचआर रिपोर्ट पर इंटरैक्टिव संवाद के दौरान भारत का वक्तव्य सामने आया है।
भारत ने कहा कि हमने उप उच्चायुक्त की रिपोर्ट पर ध्यान दिया है। भारत, श्रीलंका के एक करीबी पड़ोसी और मित्र के रूप में हमेशा साथ है। राहत की दिशा में श्रीलंका के प्रयासों का लगातार समर्थन किया गया है, श्रीलंका में पुनर्वास, पुनर्स्थापन और पुनर्निर्माण प्रक्रिया समेत अन्य बहु-आयामी समर्थन प्रदान किये गए हैं। अपनी आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए पिछले वर्ष श्रीलंका को 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान की गई है। श्रीलंका और भारत में मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के लिए कनेक्टिविटी, मजबूत भारत-श्रीलंका आर्थिक साझेदारी और सभी क्षेत्रों और सभी लोगों के लिए समावेशी और सतत विकास पर प्रकाश डाला है।
भारत हमेशा दो मूलभूत सिद्धांतों द्वारा निर्देशित रहा है जिसमे एक है समानता, न्याय, गरिमा आदि के लिए तमिलों की आकांक्षाओं को समर्थन और दूसरी शांति, एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता है। हमें उम्मीद है कि श्रीलंका सरकार समानता, न्याय और शांति के लिए तमिलों की आकांक्षाएं और अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेगी। भारत ने मोरक्को में हालिया भूकंप में हजारों लोगों की जान जाने पर हार्दिक संवेदना व्यक्त भी की।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)