27 वर्षों से हृदय रोग से पीड़ित पाकिस्तानी महिला को भारत में मिला नया जीवनदान
भारत-पाकिस्तान के रिश्तो में दरार को लेकर भले ही लोगों में अपनी अपनी राय बनी हो, पर आज भी पाकिस्तान के लोग भारत पर पूरा भरोसा करते हैं। इसका ताजा उदाहरण बेंगलुरु के नारायणा हृदयालय (NH) में देखने को मिला, जहां लगभग 27 वर्षों से माइट्रल रिगर्जिटेशन (हृदय का रिसाव) की समस्या से पीड़ित महिला को माइट्राक्लिप’ प्रक्रिया द्वारा उसके हृदय का इलाज कर स्वस्थ किया गया। इसके बाद महिला ने भारत की तारीफ करते हुए बताया कि वह काफी समय से हार्ट की समस्या से परेशान थी, परंतु जब भारत में आकर उसे नया जीवनदान मिला, उसके लिए वह हमेशा भारत की ऋणी रहेंगी।
पाकिस्तान आरिफा बानो को इस प्रक्रिया के लिए सिर्फ 72 घंटों के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया और सामान्य स्थिति में आने पर उसे छुट्टी दे दी गई।
पाकिस्तान की 43 वर्षीय महिला आरिफा बानो को भारत में गंभीर हृदय संबंधी समस्या से निजात मिली। वो 27 वर्षों से माइट्रल रिगर्जिटेशन (हृदय का रिसाव) की समस्या से पीड़ित थी, जिसके लिए उन्हें हृदय वाल्व सर्जरी की आवश्यकता थी। वो वहीं पर रहकर सर्जरी करा सकती थी लेकिन उन्हें एक पारिवारिक मित्र ने इलाज के लिए भारत आने के लिए कहा, जहां भारतीय कार्डियक विशेषज्ञ बिना दर्द के सबसे उन्नत प्रक्रिया के साथ उसके वाल्व को ठीक कर सकते थे और लंबे समय तक अस्पताल में रहने में भी उसे कोई दिक्कत नही होगी। इसके बाद ‘माइट्राक्लिप’ (MitraClip)’ प्रक्रिया की गई, जिसे केवल कुछ ही स्थानों पर विशेष रूप से अनुभवी इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा ही किया जाता है।
कार्डिएक केयर में उत्कृष्टता के लिए पहचाने जाने वाले नारायणा हृदयालय (NH) में अत्यधिक अनुभवी टीम है और इन्हीं अनुभवी भारतीय डॉक्टरों पर कई सारे लोगों का भरोसा है। इसी भरोसे को कायम रखते हुए नारायणा हृदयालय (NH) के बेंगलुरु सेंटर ने माइट्राक्लिप की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिसमे रोगी को केवल 72 घंटों के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया और 24 घंटों के भीतर ही उसे सामान्य लक्षण दिखने पर छुट्टी दी गई।
डॉ० उदय खानोलकर, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, जिन्हें अमेरिका के लॉस एंजिल्स में सीडर सिनाई अस्पताल में ‘माइट्राक्लिप’ (MitraClip)’ प्रक्रियाओं को करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, उन्होंने एक घंटे के भीतर मरीज की सर्जरी की और बताया कि मरीज को एक दशक से अधिक समय से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और पिछले 1.5 वर्षों में उसकी स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती ही जा रही थी। उसे 16 साल की उम्र में माइट्रल रिगर्जिटेशन का पता चला था और इसके लिए उसे वाल्व सर्जरी कराने की सलाह दी गई थी, जिसमें आमतौर पर ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है। हालांकि मरीज की एक घंटे के भीतर ही माइट्राक्लिप (MitraClip) प्रक्रिया की गई और 72 घंटों तक निगरानी के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया फिर 11 मार्च को उन्हें सामान्य स्थिति में आने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
डॉo संजय मेहरोत्रा, सीनियर कंसल्टेंट- इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी ने कहा कि माइट्राक्लिप (MitraClip) प्रक्रिया,ग्रोइनमेंएक छोटे पंचरकर केउसके माध्यम से दिल में एक क्लिप डाला जाता है, यह कुछ वर्षों में ओपन हार्ट सर्जरी के लिए एक गैर-सर्जिकल विकल्प के रूप में उभरा है। हालांकि वैश्विक परिदृश्य पर यदि देखा जाए तो माइट्राक्लिप प्रक्रिया कुछ ही चुनिंदा अस्पतालों में उपलब्ध है। नारायणा हृदयालय के डॉक्टरों की टीम को जटिल मामलों में भी प्रक्रिया को सही ढंग से करने का व्यापक अनुभव है। अब हम पूरे भारत में स्थित अपने सभी केंद्रों पर इस प्रक्रिया को कर रहे हैं। जो लोग इसी तरह की समस्याओं से पीड़ित हैं, वे हमारे किसी भी केंद्र/यूनिट में जा सकते हैं।
इस प्रक्रिया से पहले डॉo देवी शेट्टी, कार्डियोथोरेसिक सर्जन और नारायणा हेल्थ के अध्यक्ष द्वारा सर्जिकल टीम की एक समीक्षा की गई, उसके बाद डॉo सतीश गोविंद, सीनियर कंसल्टेंट- नॉन-इनवेसिव कार्डियोलॉजी, डॉo संजय मेहरोत्रा- सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एडल्ट, डॉo बगीरथ रघुरामन, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एडल्ट और डॉo उदय खानोलकर, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एडल्ट नेतृत्व में अनुभवी डॉक्टरों की एक टीम द्वारा नॉन-सर्जिकल माइट्राक्लिप प्रक्रिया की गई।
नारायणा हृदयालय हृदय की विभिन्न स्थितियों के लिए उपचार हेतु सबसे उन्नत और न्यूनतम इनवेसिव इलाज प्रदान करने के लिए सबसे आगे हैं और पाकिस्तान के इस रोगी पर ‘माइट्राक्लिप (MitraClip) की सफल प्रक्रिया के साथ अपनी विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता का जीता जागता उदाहरण है।
पाकिस्तान से आई रोगी आरिफा बानो ने बताया कि मुझे पिछले 27 सालों से दिल की बहुत ही दर्दनाक स्थिति से गुजरना पड़ा था, जो पिछले 2 सालों से और खराब हो गई थी। मैं ओपन हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने को लेकर निराश थी और डरी हुई थी परंतु नारायणा हेल्थ में भारतीय कार्डियक विशेषज्ञों के अनुभव और उनकी विशेषज्ञता से अच्छी तरह से परिचित मेरे एक पारिवारिक मित्र ने मुझे इन सुरक्षित हाथों का हवाला देकर मेरी जान बचाई। आरिफाजी ने कहा हम उनके और अस्पताल के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। अब वो घर वापस जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इन प्रगति का श्रेय समर्पित चिकित्सकों और संस्थान को जाता है, जो देश में कार्डियक केयर को और बेहतर करने के लिए प्रयासरत है। उनके प्रयासों ने ना केवल अनगिनत लोगों की जान बचाई है, बल्कि भारत को कार्डियक सर्जरी के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में स्थापित भी किया है।
टीम को बधाई देते हुए एनएच के अध्यक्ष डॉo देवी शेट्टी ने कहा कि भारत ने हाल ही के वर्षों में कार्डियक केयर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विशेषज्ञता में प्रगति के साथ भारत उन्नत कार्डियक सर्जरी का केंद्र बन गया है, जिसमें मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं और माइट्राक्लिप (MitraClip) जैसी जटिल प्रक्रियाएं शामिल हैं। इन प्रगतियों ने न केवल कार्डियक सर्जरी के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद की है, बल्कि उन्हें अधिक सुलभ भी बनाया है। भारत और विदेशों में रोगियों के लिए उन्नत कार्डियक देखभाल प्रदान करने के लिए हमारे कार्डिएककेयरटीम की विशेषज्ञता और समर्पण वास्तव में सराहनीय हैं। वे पूरे चिकित्सा समुदाय के लिए एक प्रेरणा हैं।
माइट्राक्लिप (MitraClip) संबंधी जानकारी:
हृदय के मुख्य पम्पिंग कक्ष के मुख्य वाल्वों में से एक का रिसाव होना, जिसे माइट्रल वाल्व कहा जाता है। यह हृदय के वाल्व रोगों का दूसरा सबसे आम कारण है। इस वाल्व के रिसाव से मनुष्य का जीवन खतरे में बना रहता है, खासकर जब यह हृदय की कमजोरी से जुड़ा होता है। हालांकि पहले ह्रदय की पंपिंग क्षमता के रूप में इन रोगियों के उपचार की कोई व्यस्था नहीं थी, विशेष रूप से सर्जिकल वाल्व रिप्लेसमेंट से ही मरीज ठीक हो सकता था। परंतु कई कारणों से कभी_ कभी रोगी का सर्जिकल वाल्व रिप्लेसमेंट द्वारा उपचार भी नहीं हो पाता है। ऐसे रोगियों के लिए एक उपचार उपलब्ध है और वह भी बिना किसी ऑपरेशन के जहां उच्च प्रशिक्षित कार्डियक इंटरवेंशनिस्ट बिना सर्जिकल प्रक्रिया के ऐसे रोगियों का इलाज कर सकते हैं और इसे माइट्राक्लिप प्रक्रिया कहा जाता है। यह एक कैथेटर-आधारित प्रक्रिया है जो ग्रोइन के माध्यम से पर्क्यूटेनियस दृष्टिकोण का उपयोग करके की जाती है। हालांकि यह प्रक्रिया विकसित देशों में कई वर्षों से उपलब्ध है, यह हमारे देश में कुछ साल पहले उपलब्ध कराई गई थी और नारायणा हृदयालय की एक टीम ने अत्यधिक कुशल विशेषज्ञता विकसित की है जहां उन्होंने इन प्रक्रियाओं को बहुत अधिक सफलता और बहुत अच्छे परिणामों के साथ पूरा किया है, इसका जबरदस्त लाभ दुनिया भर से आ रहे लोगों को मिल पा रहा है।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)