रायसीना डायलॉग के सातवें संस्करण का सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया। 25-27 अप्रैल तक चलने वाले इस आयोजन की मुख्य अतिथि इस बार यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन हैं। कार्यक्रम के शुरुआती सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के वर्ष 2047 तक भारत के ग्रीन एनर्जी क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने के ऐलान की तारीफ की।
रायसीना डायलॉग के सातवें संस्करण का सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष लेयन ने कहा, ‘जब भी हर पांच साल में भारतीय लोकसभा चुनाव में अपना वोट डालते हैं तो पूरा विश्व दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र की ओर देखता है क्योंकि 1.3 अरब लोगों का यह निर्णय पूरी दुनिया में गूंजता है।
व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद से व्यापार, तकनीक और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा: विदेश मंत्री डॉ०एस० जयशंकर।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष लेयन ने कहा महामारी के प्रभाव को दूर करने और हमारे सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होगी। जरूरतें बड़ी हैं, लेकिन अवसर भी हैं। यही कारण है कि हमने ग्लोबल गेटवे पेश किया है। उन्होंने कहा इसलिए ग्लोबल गेटवे द्वारा पेश किए गए अवसरों के संदर्भ में आज किए गए विकल्प न केवल यूरोपीय संघ और भारत के लिए बल्कि उस ग्रह के लिए भी महत्वपूर्ण हैं जिसे हम सभी साझा करते हैं।
वहीं कार्यक्रम में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा 2015 में प्रधानमंत्री आपने हमें समसामयिक मुद्दों पर बहस करने के लिए ‘मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड’ मंच बनाने का काम दिया। जो वैश्विक एजेंडा को आकार देने के आपके विश्वास को दर्शाता है। यह संवाद आपके कॉल पर हमारे द्वारा दिए गए कई जवाबों में सबसे सफल रहा है। सात साल बाद आज हमारे बीच 99 देशों के 1200 प्रतिभागी हैं। यही नहीं 100 पैनल यहां होने वाली बातचीत को सुनने के लिए तैयार हैं। मैं पूरी विनम्रता के साथ कह सकता हूं कि रायसीना संवाद अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ में से एक है।
विदेश मंत्री डॉo जयशंकर ने कहा आज हमने व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद को भी शुरू करने की घोषणा की। यह समन्वय तंत्र विस्तारित व्यापार विश्वसनीय प्रौद्योगिकियों और सुरक्षा पर हमें साथ मिलकर काम करने में मदद करेगा। यूरोपीय संघ ने पहले ही क्रमशः एक इंडो-पैसिफिक और एक कनेक्टिविटी रणनीति तैयार की है जो हमें आगे बढ़ने में मदद करती है। हमारी जलवायु कार्रवाई डिजिटल और अन्य बातचीत तेजी से गंभीर होती जा रही है। जैसा कि हमने सुना है कि यूरोपीय संघ बहुत तेज रणनीतिक जागरूकता के साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है।
वस्तुयत: इसी वार्ता में ये चर्चा के विषय हैं।
रायसीना डायलॉग के मुख्य एजेंडे क्या हैं ?
इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 90 देशों के राजनयिक और विशेषज्ञ भारत पहुंच गए हैं। इस बार अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीतिक और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। रायसीना डायलॉग 2022 की इस बार की थीम ‘टेरा नोवा- इंपैसंड, इंपैसियस, इंपेरिल्ड’ रखा गया है।
इसके 6 महत्वपूर्ण स्तम्भ:
तीन दिनों के कार्यक्रम के दौरान डायलॉग में छह विषयगत स्तंभों पर कई प्रारूपों में पैनल चर्चा करेगा। इनमें ट्रेड टेक्नोलॉजी आइडियोलाजी नेटवर्क ग्लोबल ऑर्डर, हेल्थ डेवलपमेंट एंड प्लैटनेट, हिंद प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियां, हरित बदलाव हासिल करना, तकनीकी युद्ध की चुनौतियां शामिल है।
कई बड़े दिग्गज को किया गया आमंत्रित:
पिछले साल, कोरोना के कारण सम्मेलन वर्चुअल तरीके से आयोजित किया गया था। हालांकि इस साल, हालांकि, इस साल ऐसा नहीं है। इस बार बदलाव में महिलाओं की भूमिका पर भी चर्चा होगी। साथ कोरोना महमारी में वैक्सीन के महत्व पर भी चर्चा होगी। इस बार इस कार्यक्रम में स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्ड, कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री एंथनी एबॉट को आमंत्रित किया गया है।
क्या है रायसीना डायलॉग:
विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से रायसीना डायलॉग का हर साल आयोजन होता है। इसकी शुरुआत 2016 में की गई थी। विदेश मंत्रालय का मुख्यालय रायसीना पहाड़ी नई दिल्ली में स्थित है। इसी के नाम पर इसे रासीना डायलॉग के नाम से जाना जाता है। यह सम्मेलन अलग-अलग देशों को एक मंच पर लाने और कई अहम चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हर साल राजनीति, व्यापार, मीडिया से जुड़े लोग दुनिया की स्थिति पर चर्चा करने और समकालीन मामलों की एक विस्तृत श्रृंखला पर सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए नई दिल्ली में एकत्रित होते हैं। संवाद को एक बहु-हितधारक, क्रॉस-क्षेत्रीय चर्चा के रूप में संरचित किया गया है, जिसमें राज्य के प्रमुख, कैबिनेट मंत्री और स्थानीय सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं, जो निजी क्षेत्र मीडिया और शिक्षा जगत के विचारशील नेताओं से जुड़े होते हैं।