महामारी के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक: विदेश सचिव-(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)

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विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कोविड-19 महामारी के कारण हुए उतपन्न हुई समस्याओं के बावजूद भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। वह शुक्रवार को इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2022 में बोल रहे थे।

विदेश सचिव ने इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव-2022 को किया सम्बोधित।

विदेश सचिव ने कहा हमें न केवल विश्वसनीय राजनीतिक साझेदार के रूप में बल्कि विश्वसनीय आर्थिक साझेदार के रूप में देखा जाता है। लोकतंत्र, पारदर्शिता, कानून के राज, उद्यमिता और कड़ी मेहनत का अद्वितीय भारतीय लोकाचार एक आर्थिक लाभांश दे रहा है। आर्थिक और वित्तीय मामलों से संबंधित सभी बहुपक्षीय बातचीत में हम पहले से कहीं ज्यादा मायने रखते हैं।
भारत की आर्थिक नीति की प्रशंसा करते हुए विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि जी20 समूह के देशों की आगामी अध्यक्षता हमारी बढ़ी हुई वैश्विक स्थिति की स्वीकृति और हमारे दृष्टिकोण को पेश करने एवं हमारी प्राथमिकताओं को उजागर करने का अवसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” की पहल की सराहना करते हुए, विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि इसने भारत की आर्थिक कूटनीति को बदल दिया है। उन्होंने कहा आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा जिसे हम विदेश नीति की भाषा में रणनीतिक स्वायत्तता में कहते हैं, वह हमारी अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी कूटनीति को बदल रही है।
विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है। उन्होंने कहा, “पड़ोस में घटी समकालीन आर्थिक घटनाओं को देखकर भारत की अर्थव्यवस्था, उसकी ताकत वित्तीय स्थिरता के स्रोत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विदेश सचिव श्रृंगला के अनुसार, आने वाले समय में भारत की लचीली और भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला विश्व की महत्वपूर्ण श्रृंखलाओं का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। उनके अनुसार भारत के लोकतंत्र में विदेश नीति और सामरिक मामलों में लाभांश बढ़ रहा है।
विदेश सचिव ने श्रृंगला ने यह भी कहा कि वैश्विक घटनाओं के जवाब में विदेश और रणनीतिक नीतियां विकसित हो रही हैं। श्रृंगला ने आगे कहा कि युद्ध के बाद की वास्तविकताओं से निपटने के लिए तैयार की गई प्रणाली इक्कीसवीं सदी की समस्याओं से निपटने के लिए कम थी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न पहलों में भारत के योगदान पर बल दिया। उन्होंने महामारी से निपटने के लिए देश के दृष्टिकोण की भी सराहना की।

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