आजादी का अमृत महोत्सव: विशिष्ठ सप्ताह मनाएगा भारतीय विदेश मंत्रालय-(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)

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भारतीय विदेश मंत्रालय 21-27 फरवरी के दौरान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ विशिष्ठ सप्ताह मनाएगा और इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान जारी कर इस बारे में जानकारी दी है।

21-27 फरवरी के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक कार्यक्रम किए जाएंगे आयोजित।

अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएम) सप्ताह के एक हिस्से के रूप में मंत्रालय देश भर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उनमें से ‘समीप: छात्र और विदेश मंत्रालय सहभागिता कार्यक्रम और ‘इंडिया@75: विदेश नीति विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं। इनके अलावा मंत्रालय ने एशियाई आर्थिक संवाद और भारतीय मीडिया के लिए विदेश नीति पर विशेष पाठ्यक्रम की भी योजना बनाई है।
बयान में कहा गया कि एकेएम के तहत सोमवार यानी 22 फरवरी से इंडिया हैबिटेट सेंटर में विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (आरआईएस) द्वारा 75 साल की विकास साझेदारी की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। जो सुबह 10 बजे से रात 9 बजे तक खुली रहेगी। इसके साथ ही उसी दिन भारतीय संस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) चेन्नई में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करेगा।
बयान के अनुसार इसके अलावा पूरे सप्ताह, जर्मन, स्पेनिश, फ्रांसीसी दूतावास और ब्रिटिश उच्चायोग सहित विभिन्न विदेशी दूतावासों और उच्चायोगों के सहयोग से खेल से लेकर संगीत और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार यह सप्ताह मंत्रालय का एकेएम सप्ताह होगा। दुनिया भर में मौजूद भारतीय मिशनों और दूतावासों का अपना एकेएम सप्ताह भी है, जिसे वे भारतीय प्रवासी, भारत के दोस्तों और स्थानीय संगठनों की भागीदारी के साथ भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए मना रहे हैं। अब तक आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भारत के दूतावासों एवं उच्चायोगों ने 5 हजार से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

आईसीसीआर करेगा क्राफ्ट मेला का आयोजन:
इसके अलावा आईसीसीआर 23-25 फरवरी के दौरान क्राफ्ट मेला का आयोजन करेगा। इस कार्यक्रम का उद्धघाटन विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और आईसीसीआर के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे करेंगे। क्राफ्ट मेले में इस बात को रेखांकित किया जायेगा कि किस प्रकार से भारतीय शिल्पकला सांस्कृतिक धरोहर एवं स्थानीय आजीविका को बनाये रखते हुए धरती की परिस्थितिकी के साथ संतुलन स्थापित करती है। 

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