नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बहरीन के अपने दो दिवसीय दौरे की शुरुआत रविवार को मनामा में ऐतिहासिक 200 साल पुराने श्रीनाथजी मंदिर के दर्शन से की। यह मंदिर बहरीन के साथ भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है और दोनों देशों के बीच साझा इतिहास और लोगों के बीच संबंधों को दर्शाता है।
डॉ. जयशंकर ने बहरीन के अपने समकक्ष डॉ. अब्दुल्लातिफ बिन राशिद अल ज़ायनी के साथ चौथे भारत-बहरीन उच्च संयुक्त आयोग (एचजेसी) की सह-अध्यक्षता करने के लिए 8-9 दिसंबर को बहरीन की यात्रा की। मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत-बहरीन संबंधों के पूरे स्पेक्ट्रम की समीक्षा की गई और व्यापार, निवेश, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा हुई।
इस वर्ष की 20वीं आईआईएसएस मनामा वार्ता विदेश मंत्री की बहरीन यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही। संवाद का विषय था, ‘क्षेत्रीय समृद्धि और सुरक्षा को आकार देने में मध्य पूर्व नेतृत्व’। संवाद पैनल में जयशंकर के अलावा बहरीन के विदेश मंत्री डॉ. अल ज़ायनी और चेक गणराज्य के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टॉमस पोजर शामिल रहे। मनामा संवाद को संबोधित करते हुए जयशंकर ने आर्थिक संबंधों, राजनीतिक जुड़ाव, संपर्क पहल और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर भारत के प्रयासों पर जोर दिया।
इससे इतर जयशंकर ने भारत की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को मजबूत करने के लिए कई उच्च स्तरीय बैठकें भी की। उन्होंने भारत और चेक गणराज्य के बीच द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा और उन्हें बढ़ाने के लिए राजदूत टॉमस पोजर से मुलाकात की। डॉ. जयशंकर ने क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऑपरेशन यूनेवफोर एस्पाइड्स के कमांडर रियर एडमिरल वासिलियोस ग्रिपरिस के साथ भी चर्चा की। ऑपरेशन यूनेवफोर एस्पाइड्स एक यूरोपीय संघ (ईयू) सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य लाल सागर और खाड़ी में वाणिज्यिक जहाजों को हमलों से बचाना है।
इसके अतिरिक्त विदेश मंत्री ने भारत और ब्रिटेन के बीच बहुआयामी सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए ब्रिटिश ‘छाया’ विदेश मंत्री प्रीति पटेल से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गस त्सखना के साथ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास और गहनता पर चर्चा की। बहरीन की इस यात्रा से पहले जयशंकर ने कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी के निमंत्रण पर कतर का दो दिवसीय दौरा किया, जहां उन्होंने दोहा फोरम में हिस्सा लिया।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
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