नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इजरायल-फिलिस्तीन के बीच जारी हिंसा को समाप्त करने के लिए शीघ्र युद्ध विराम की आवश्यकता पर जोर दिया। सीपीआई सांसद पी. पी. सुनीर द्वारा राज्यसभा में इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर भारत के रुख के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने यह प्रतिक्रिया दी।
विदेश मंत्री ने परिस्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के लिए देशों के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही मानवीय कानूनों का पालन करने और नागरिक हताहतों को कम करने का भी आग्रह किया। टीएमसी सांसद साकेत गोखले द्वारा पूछे गए प्रश्न पर डॉ. जयशंकर ने दो-राज्य समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि भारत एक ‘संप्रभु, स्वतंत्र और टिकाऊ’ फिलिस्तीनी राज्य की वकालत कर रहा है।
राज्यसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा हमने दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है। हम हमेशा इस बारे में सार्वजनिक और स्पष्ट रहे हैं। दो-राज्य समाधान के बारे में भ्रम की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।
यूएनजीए में प्रस्तावों पर मतदान से भारत के कथित रूप से दूर रहने के बारे में डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत ने 13 में से 10 प्रस्तावों का समर्थन किया है और 3 से खुद को अलग रखा है। भारत के मतदान से दूर रहने के कारणों को विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा यदि कोई प्रस्ताव किसी स्थिति की संपूर्णता को प्रतिबिंबित नहीं करता है, तो यह एक संतुलित प्रस्ताव नहीं है। यदि भारत जैसा देश, जो स्वयं आतंकवाद का शिकार है, इस तथ्य का समर्थन करता है कि आतंकवाद को कम करके आंका जाए या उसे नजरअंदाज किया जाए, तो ऐसा करना हमारे हित में नहीं है।
डॉ. जयशंकर ने साकेत गोखले द्वारा इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अन्य के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्याय न्यायालय के वारंट पर पूछे गए प्रश्न पर भी टिप्पणी की। विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को 5 मिलियन डॉलर के वार्षिक योगदान का भी उल्लेख किया और 2023 में फिलिस्तीन को 70 मीट्रिक टन सहायता की खेप की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें 16.5 मीट्रिक टन चिकित्सा आपूर्ति शामिल है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
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