मुंबई। भारत एक बार फिर अपने करीबी समुद्री पड़ोसी मालदीव की मदद के लिए आगे आया है। मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल का तटरक्षक जहाज ‘हुरवी’ बुधवार को यहां नौसेना डॉकयार्ड में निर्धारित मरम्मत के लिए पहुंचा। ‘हुरवी’ की मरम्मत का काम करीब 40 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक की लागत से किया जाएगा, जिसका खर्च भारत सरकार उठाएगी।
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, भारत ने अक्टूबर 2024 में मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़ू के आधिकारिक दौरे के दौरान यह घोषणा की थी कि भारत अपने खर्चे पर हुरवी की मरम्मत का काम करेगा, जो एक गश्ती जहाज है और जिसे हाल ही में भारत सरकार ने मालदीव को उपहार में दिया था।
मालदीव स्थित भारतीय उच्चायोग के एक बयान के अनुसार, मई 2023 में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल को सौंपे जाने के बाद यह हुरवी का पहला पुनर्निर्माण कार्य है। इस कार्य में नियमित रखरखाव कार्य के साथ-साथ कई एडवांस सुविधाओं को भी जोड़ा जाएगा। मालदीव के माले से मुंबई तक की यात्रा के दौरान जहाज को भारतीय नौसेना के जहाज ‘तलवार’ द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई।
उच्चायोग ने कहा यह हमारे दोनों देशों के बीच गहरे मैत्रीपूर्ण संबंधों और बहुआयामी रक्षा सहयोग को दर्शाता है। मालदीव भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और विजन ‘सागर’ यानी ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ के तहत एक महत्वपूर्ण भागीदार है। भारत मालदीव की क्षमता निर्माण और क्षमता वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा भारत हमेशा से मालदीव में किसी भी संकट का सबसे पहले जवाब देने वाला देश रहा है, चाहे वह 1988 में तख्तापलट का प्रयास हो, 2004 में सुनामी हो, 2014 में माले जल संकट हो या कुछ साल पहले कोविड_19 महामारी हो। हमने छोटी और बड़ी विकास परियोजनाओं, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण पहलों आदि के माध्यम से मालदीव के विकास में योगदान दिया है। इसके अलावा भारत ने समय-समय पर मालदीव के अनुरोधों और प्राथमिकताओं के आधार पर आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मालदीव को सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)