ब्रिटेन ने मॉरीशस को सौंपा ‘चागोस’ द्वीप, भारत ने किया फैसले का स्वागत

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नई दिल्ली। भारत ने डिएगो गार्सिया सहित चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस की संप्रभुता की वापसी पर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच हुए समझौते का स्वागत किया है।
हिंद महासागर में स्थित चागोस द्वीप समूह अब मारीशस के संप्रभु भौगोलिक खंड का हिस्सा होगा। वैश्विक मंच पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के लिहाज से चागोस को रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। गुरुवार को मॉरीशस को इसे हस्तांतरित करने को लेकर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच समझौता हुआ है।
चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन-मॉरीशस विवाद 1960 के दशक में शुरू हुआ था, जब ब्रिटेन ने इसे स्वतंत्रता देने से पहले द्वीपसमूह को मॉरीशस से अलग कर दिया था। डिएगो गार्सिया पर अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थापित करने के लिए स्वदेशी चागोसियों को जबरन हटाया गया था। कानूनी चुनौतियों के बावजूद, ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को बरकरार रखा। हालांकि 2019 में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ब्रिटेन की कार्रवाई अवैध थी। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के समर्थन से 2022 में वार्ता शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप अब 2024 में मॉरीशस को संप्रभुता हस्तांतरित हुई है।
यूके को बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव को पहचानने में तीन और साल लग गए। नवंबर 2022 में, दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप मौजूदा समझौता हुआ।
भारत ने उपनिवेशवाद के अंतिम अवशेषों को मिटाने की आवश्यकता का दृढ़तापूर्वक और लगातार समर्थन करते हुए चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ब्रिटेन और मॉरीशस के संयुक्त वक्तव्य में नई दिल्ली की भूमिका का उल्लेख किया गया है। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है, आज के राजनीतिक समझौते पर पहुंचने में, हमें अपने करीबी भागीदारों, अमेरिका और भारत का पूरा समर्थन और सहायता मिली है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन में दो साल की बातचीत के बाद लंबे समय से चले आ रहे चागोस विवाद का समाधान एक स्वागत योग्य डेवलपमेंट है। भारत ने लगातार मॉरीशस के चागोस पर संप्रभुता के दावे का समर्थन किया है, जो विउपनिवेशीकरण पर अपने सैद्धांतिक रुख और राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन के साथ-साथ मॉरीशस के साथ अपनी दीर्घकालिक और घनिष्ठ साझेदारी के अनुरूप है।
मंत्रालय ने कहा भारत समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि को बढ़ाने में योगदान देने के लिए मॉरीशस तथा अन्य समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह समझौता डिएगो गार्सिया सैन्य अड्डे को, जो वर्तमान में अमेरिका द्वारा संचालित है, कम से कम अगले 99 वर्षों तक अपने संचालन को जारी रखने की अनुमति देता है, जिसे वार्षिक भुगतान और यूके से वित्तीय सहायता पैकेज द्वारा समर्थित किया जाएगा। यह अड्डा क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व रखता है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)

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