जिनेवा। भारत ने कोलंबो प्रक्रिया के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग के लिए अपने प्राथमिकता वाले कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक कार्य योजना प्रस्तुत की है।
कोलंबो प्रक्रिया 12 एशियाई देशों का एक क्षेत्रीय परामर्श मंच है, जो मुख्य रूप से प्रवासी श्रमिकों के मूल देश के रूप में काम करते हैं। मंच विदेशी रोजगार के प्रबंधन पर सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। भारत ने बीते सप्ताह जिनेवा में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) मुख्यालय में स्थायी प्रतिनिधि स्तर की बैठक में कोलंबो प्रक्रिया के अध्यक्ष के रूप में अपनी पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए कार्य योजना प्रस्तुत की। बैठक में भारत ने अपनी प्राथमिकताओं की एक श्रृंखला सूचीबद्ध की, जिसमें कोलंबो प्रक्रिया की वित्तीय स्थिरता की समीक्षा करना तथा नए देशों को सदस्य और पर्यवेक्षक के रूप में शामिल करके समूह की सदस्यता को व्यापक बनाना शामिल है।
इस दौरान विदेश मंत्रालय में सचिव (काउंसलर-पासपोर्ट-वीजा प्रभाग) मुक्तेश परदेशी ने विशेष संबोधन दिया। उन्होंने कोलंबो प्रक्रिया के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने और सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। भारत ने कोलंबो प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए प्रमुख प्राथमिकताओं और पहलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अगले दो वर्षों के लिए एक कार्य योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कोलंबो प्रक्रिया (2024-26) के लिए भारत की प्राथमिकताओं में कोलंबो प्रक्रिया की वित्तीय स्थिरता की समीक्षा करना, नए सदस्यों और पर्यवेक्षकों को शामिल करना, तकनीकी-स्तरीय सहयोग को फिर से तैयार करना, अध्यक्षता के लिए एक संरचित रोटेशन को लागू करना, सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन (जीसीएम) के लिए वैश्विक समझौते की क्षेत्रीय समीक्षा करना और अबू धाबी वार्ता (एडीडी) तथा अन्य क्षेत्रीय प्रक्रियाओं के साथ संवाद का हिस्सा बनना शामिल है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)