कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को भारत, फ्रांस, जापान और चीन के साथ ऋण पुनर्गठन समझौते की घोषणा की। उन्होंने इस एमओयू को एक ‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ बताया, जिससे आर्थिक संकट से जूझ रहे देश के प्रति अंतरराष्ट्रीय विश्वास बढ़ेगा।
इसके बाद भारत ने एक बयान में कहा कि वह श्रीलंका के आर्थिक सुधार में सहायता करना जारी रखेगा, जिसमें इसके प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देना भी शामिल है।
श्रीलंका को संकट से उबारने में भारत के सहयोग और समर्थन की पुष्टि करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा हम आधिकारिक ऋणदाता समिति और श्रीलंका के बीच ऋण पुनर्गठन पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए श्रीलंका सरकार को बधाई देते हैं। यह श्रीलंका द्वारा अपने आर्थिक स्थिरीकरण और सुधार में की गई प्रगति को दर्शाता है। भारत श्रीलंका के विकास और समृद्धि के लिए अपनी प्रतिबद्धता को लेकर दृढ़ है, जो 4 अरब अमेरिकी डॉलर की अभूतपूर्व सहायता के साथ-साथ ओसीसी के सह-अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका से प्रदर्शित होता है।
समझौते के बाद श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी ने ‘एक्स’ पर लिखा आधिकारिक ऋणदाता समिति और श्रीलंका सरकार के बीच ऋण पुनर्गठन पर समझौता ज्ञापन। श्रीलंका भाग्यशाली है कि उसे देखभाल करने वाले और विचारशील पड़ोसी तथा मित्र मिले हैं!
एमओयू के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा फ्रांस और जापान के साथ ओसीसी के सह-अध्यक्षों में से एक के रूप में, भारत श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण, सुधार और विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है। भारत आईएमएफ को वित्तपोषण आश्वासन देने वाला पहला ऋणदाता राष्ट्र भी था, जिसने श्रीलंका के लिए आईएमएफ कार्यक्रम को सुरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त किया।
उल्लेखनीय है कि भारत आर्थिक सुधार में सहायता के अलावा अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत विभिन्न बुनियादी क्षेत्रों में भी श्रीलंका की काफी मदद कर रहा है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
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