नई दिल्ली। नीदरलैंड के रॉटरडैम में भारत-यूरोप स्पेस और भू-स्थानिक व्यापार शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस दौरान जियोस्पेशियल वर्ल्ड के सीईओ संजय कुमार ने जियोस्पेशियल और अंतरिक्ष बाजारों के बीच अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने बदलती वैश्विक व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया और इस संदर्भ में व्यावसायिक साझेदार चुनने के महत्व पर जोर दिया।
भारत-यूरोप अंतरिक्ष सहयोग 1960 के दशक से चला आ रहा है, पिछले कुछ वर्षों में इसरो और सीएनईएस के बीच संबंध गहरे हुए हैं। भारत की नई अंतरिक्ष नीति के साथ, जिसने निजी दिग्गजों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं, दोनों देशों के बीच सहयोग निजी खिलाड़ियों के लिए एक खुला क्षेत्र प्रदान करेगा। विशेष रूप से हाल ही में सामने आई भारत की एफडीआई नीति के साथ, अंतरिक्ष क्षेत्र को बहुत जरूरी निवेश के साथ बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
शिखर सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय दूतावास, नीदरलैंड मिशन के उप प्रमुख गिंस कुरुविला मैटम उपस्थित थे। इस दौरान मैटम ने जोर देकर कहा प्रौद्योगिकी सीधे तौर पर देश में समृद्धि की ओर ले जा रही है। भारत में टेक्नोलॉजी स्टोरी का एक महत्वपूर्ण तत्व तकनीकी परिवर्तन को अपनाने के लिए लोगों की तत्परता है। वित्तीय प्रौद्योगिकियां इसका एक बड़ा उदाहरण हैं।
कार्यक्रम के बाद नीदरलैंड में भारतीय मिशन ने एक्स पर पोस्ट किया अंतरिक्ष क्षेत्र, सर्वेक्षण संगठनों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, व्यापार समाधान उद्यमों के साथ-साथ सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाला एक बड़ा भारतीय प्रतिनिधिमंडल चार दिवसीय फोरम में भाग ले रहा है, जिसमें उद्योग के रुझान, समस्या बिंदुओं और व्यापार के अवसरों पर चर्चा हुई।
जैसे-जैसे अंतरिक्ष क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी निवेश बढ़ रहा है, तकनीकी नवाचारों के साथ-साथ, भारत और यूरोप के बीच अंतरिक्ष सहयोग का भविष्य भी उन्नति की ओर अग्रसर हो रहा है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)