भारत की ओर से प्रदर्शनी के लिए थाईलैंड भेजे गए भगवान बुद्ध और उनके सम्मानित शिष्यों अरिहंत सारिपुत्त और अरिहंत मोदगलायन के अस्थि अवशेषों के दर्शन के लिए देश भर से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।
भारत ने पवित्र अवशेषों को थाईलैंड के चार अलग-अलग स्थानों पर लगने वाली 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए 22 फरवरी को थाईलैंड भेजा था, जिन्हें प्रदर्शनी के पहले हिस्से के तौर पर 23 फरवरी को बैंकॉक में सनम लुआंग मंडप के एक भव्य मंडपम में स्थापित किया गया था। माखा बुचा दिवस पर करीब 1 लाख भक्तों ने पवित्र अवशेषों की पूजा की थी और यह सिलसिला अभी तक नहीं थमा है। थाईलैंड में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि अभी भी रोजाना हजारों श्रद्धालु पवित्र अवशेषों के दर्शन को उमड़ रहे हैं।
बैंकॉक स्थित भारतीय उच्चायोग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा बैंकॉक के सनम लुआंग में हजारों श्रद्धालुओं की ओर से भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों को सम्मान देने का सिलसिला जारी है।
प्रदर्शनी के आयोजन में विदेश मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और थाईलैंड में भारतीय दूतावास विशेष भूमिका निभा रहा है। भारत ने थाईलैंड के लोगों के प्रति एक विशेष भावना प्रदर्शित करते हुए यह सराहनीय कदम उठाया है। यह आयोजन भारत-थाईलैंड संबंधों में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगी और इसके माध्यम से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि बुद्ध के पवित्र अवशेष भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे रहते हैं, जिन्हें ‘कपिलवस्तु अवशेष’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि ये बिहार में उस स्थल से प्राप्त हुए हैं, जिसे प्राचीन कपिलवस्तु शहर माना जाता है। इसके अलावा बुद्ध के दोनों शिष्यों के अवशेष सांची स्तूप में रखे होते हैं। थाईलैंड में 19 मार्च को प्रदर्शनी के समापन के बाद पवित्र अवशेषों को उनके संबंधित स्थलों पर वापस भेज दिया जाएगा।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)
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