राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित तीन दिवसीय रायसीना डायलॉग के नौवें संस्करण का शुक्रवार को समापन हुआ, जिसमें 100 से अधिक देशों के करीब 2500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। संवाद में उन मुद्दों पर चर्चा हुई, जो विश्व व्यवस्था को नया आकार दे रहे हैं।
अंतिम दिन आयोजित विभिन्न सत्रों में नवाचार, बहुपक्षवाद, बहुलवाद और वैश्विक शासन जैसे कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चाएं हुई। इस दौरान भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी, लात्विया के विदेश मंत्री क्रिसजानिस कैरिन्स, कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफेन हार्पर, स्लोवाकिया गणराज्य के विदेश मंत्री जूराज ब्लानर, चेक गणराज्य के विदेश मंत्री जान लिपावस्की, नेपाल के विदेश मंत्री नारायण प्रकाश सौद और घाना के विदेश मामलों के मंत्री शर्ली अर्योकोर बोत्शवे तथा अल्बानिया के विदेश मामलों के मंत्री इगली हसानी ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को आयोजित डायलॉग पैनल – ‘द वोंक टैंक: व्हेयर एक्सपर्ट मीट्स अथॉरिटी’ में अपने विचार रखे। उन्होंने कई वैश्विक लेखकों, वैज्ञानिकों और चिंतकों के साथ वैश्विक व्यवस्था में सुधार पर चर्चा की।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को रायसीना संवाद का उद्घाटन किया और यूएन समेत अन्य वैश्विक संस्थानों में सुधार पर जोर दिया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने कहा कि भारत विश्व मंच पर एक महान शक्ति है और शांति तथा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी है।
संवाद के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने विभिन्न देशों के अपने समकक्षों और थिंक टैंक से मुलाकात की और भारत के साथ सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
2024 के संवाद की थीम चतुरंग रखी गई थी। यानी कॉन्फ्लिक्ट (संघर्ष), कॉन्टेस्ट (प्रतियोगिता), को-ऑपरेट (सहयोग) और क्रिएट (निर्माण)। रायसीना डायलॉग भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक वार्षिक सम्मेलन है, जिसका आयोजन विदेश मंत्रालय ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के सहयोग से करता है। इसके जरिए दुनिया से भारत के संबंध लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)