मिस्र में बजा ‘भारत’ की कार्बन उत्सर्जन कम करने की नीति का डंका
इजिप्ट के शर्म-अल-शेख में चल रहे 27वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत ने कार्बन उत्ससर्जन कम करने को लेकर अपनी दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत की। समिट में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि कैसे भारत 2032 तक देश में जीवश्म ईंधन की निर्भरता को कम करेगा।
समिट में शामिल भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि भारत का ग्लोबल वार्मिंग में बहुत कम योगदान रहा है। भारत में दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद भारत में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बहुत कम हुआ है। वहीं भारत ने COP27 में कहा कि विकास योजनाओं के लिए भारत कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली कार्य प्रणालियों पर जोर देता है। इसका राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार सक्रिय रूप से उनका पालन किया जाता है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने क्लाइमेट चेंज को लेकर समिट में कहा कि भारत जीवाश्म ईंधन से निर्भरता कम करने की योजना पर कार्य कर रहा है। भारत ने बिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2032 तक हरित हाइड्रोजन उत्पादन के तेजी से विस्तार, इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता में वृद्धि और परमाणु क्षमता में तीन गुना वृद्धि की अपनी योजनाओं की परिकल्पना की है। भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। वहीं 2025 तक जीवाश्म ईंधन पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण योजना का लक्ष्य है।
भारत की रणनीति की प्रमुख विशेषताएं:
कोयले, पेट्रोल, डीजल की जगह अक्षय ऊर्जा का उपयोग धीरे धीरे बढ़ाया जायेगा।
नेशनल हाइड्रोजन मिशन से भारत ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा का हब बनेगा।
बायोफ्यूल को बढ़ावा दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग बढ़ाने पर जोर रहेगा।
स्मार्ट सिटी, ग्रीन बिल्डिंग कोड और ठोस व तरल कचरे के बेहतर प्रबंधन पर जोर रहेगा।
जंगलों व वृक्ष आवरण को बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा।
(तिपोट: शाश्वत तिवारी)