उत्तर प्रदेश में कार्यरत अब आशा वर्कर और आशा संगनियों को ड्यूटी के दौरान यूनिफार्म पहनना जरूरी है

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उत्तर प्रदेश में कार्यरत अब आशा वर्कर और आशा संगनियों को ड्यूटी के दौरान यूनिफार्म पहनना जरूरी है. अगर इस दौरान उन्होंने ड्रेस नहीं पहनी तो कार्रवाई हो सकती है. इसके अलावा यूपी पुलिस की रात्रिकालीन सेवा में ड्रेस कोड में बदलाव किया गया है.
अनिवार्य रूप से यूनिफार्म पहनना जरूरी
अब आशा वर्कर और आशा संगनियों को अनिवार्य रूप से यूनिफार्म पहनकर आना होगा. अभी तक सख्ती न किए जाने के चलते वे किसी भी बैठक में प्रतिभाग करने और राजकीय कार्यों के लिए क्षेत्र में भ्रमण पर जाने के दौरान यूनिफार्म नहीं पहनती हैं. अब इस आदेश के बाद इनको यूनिफार्म में आना होगा.
पुलिसकर्मी रात में पहन सकेंगे शीतकालीन ड्रेस
वहीं लखनऊ यूपी पुलिस रात्रिकालीन सेवा में ड्रेस कोड में बदलाव किया है. पुलिसकर्मी रात में शीतकालीन ड्रेस पहन सकेंगे. डीजीपी मुख्यालय से निर्देश जारी किया गया है. मौसम में परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए समस्त अधिकारी, कर्मचारी अब रात के समय सर्दी के कपड़े पहन सकेंगे. दिन के समय पहने जाने वाली वर्दी के लिए अलग से निर्देश जारी किए जाएंगे.
कौन होती हैं आशा कार्यकर्ता
आशा वर्कर्स गांव की प्राथमिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता होती हैं.आशा कार्यकर्ता को आशा दीदी भी कहा जाता है. ये पद केंद्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अधीन होता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ही तहत इन आशा वर्कर्स को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिहाज से प्रशिक्षित भी किया जाता है. ये ट्रेनिंग 18 महीने तक की हो सकती है. कोरोना महामारी में आशा कार्यकर्ता ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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