भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शांति अभियानों में रणनीतिक संचार के महत्व पर प्रकाश डाला-(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)

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न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के वैश्विक भागीदारों और हितधारकों के साथ भारत जुड़ता रहा है। पिछले दो दिनों में विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मौजूद रहे और उन्होंने कई आमने-सामने बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों, संयुक्त राष्ट्र निकायों के साथ सहयोग, शांति स्थापना से जुड़े विषयों समेत कई अन्य पहलुओं पर बैठक की।

विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का दौरा कर कई राजनयिकों से मुलाकात की शांति अभियानों पर हाल ही में हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भी लिया हिस्सा।

सौरभ कुमार 12 जुलाई को आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस बैठक में उपस्थित थे, जिसमें शांति स्थापना कार्यों को पूरा करने के लिए रणनीतिक संचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई थी। बैठक में मेजबान राज्य की संप्रभुता के महत्व पर बात करते हुए सौरभ कुमार ने कहा किसी भी तरह से किसी भी रणनीतिक संचार द्वारा मेजबान राज्य की संप्रभुता पर अतिक्रमण करने या उसके हितों को कमजोर करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। मिशन और मेजबान राज्य के बीच विश्वास और समन्वय सफलता के लिए आवश्यक है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्थिति के अनुरूप जागरूकता रणनीतिक संचार को सशक्त बनाती है, यही वजह है कि 1.6 अरब डॉलर में भारत की सहायता से बनाए गए यूनिटवेयर प्लेटफॉर्म ने जिस तरह पिछले एक साल में चार मिशनों में मदद की है, उसी तरह आगे भी शांति स्थापना मिशनों की मदद करना जारी रखेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के अलावा सौरभ कुमार ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और अवर महासचिव अतुल खरे समेत कई अन्य महत्वपूर्ण लोगों से भी मुलाक़ात की। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने ट्वीट किया सौरभ कुमार, सचिव (पूर्व) ने यूएन के ऑपरेशनल सपोर्ट डिपार्टमेंट के अवर महासचिव अतुल खरे से मुलाकात की। संयुक्त राष्ट्र के साथ चल रहे सहयोग और उसके संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की।
अपने इस दौरे पर सौरभ कुमार ने हंगरी, ब्राजील, अर्जेंटीना, अल सल्वाडोर और मालदीव के राजनयिकों और विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की। इन बैठकों ने भारत को इन देशों के साथ अपने मौजूदा संबंधों को मज़बूत बनाने के साथ ही भविष्य में सहयोग के नए रास्ते खोजने में मदद की है।

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