विदेशो से प्राप्त 10 मूर्तियों को केंद्र ने तमिलनाडु सरकार को सौंपा-(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)

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ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका से प्राप्त 10 प्राचीन मूर्तियों को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक समारोह में बुधवार को केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी तमिलनाडु सरकार को सौंप दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र विदेशों से प्राचीन वस्तुएं वापस लाने और उन राज्यों को सौंपने की पहल करेगा जहां से यह वस्तुएं चोरी हुई थीं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में आयोजित समारोह में सौंपी गई मूर्तियां।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में आयोजित इस समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री रेड्डी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत केंद्र ने देश की प्राचीन सभ्यता को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा हमारे देवताओं को घर वापस लाना एक ऐसी पहल है जो हमारी विरासत को संरक्षित करने बढ़ावा देने और प्रचारित करने में निहित है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत संबंधों और विश्व नेताओं के साथ मधुर संबंधों ने उन देशों को तेजी से चोरी के पुरावशेषों की पहचान करने और सहयोग बनाए रखने के लिए प्रेरित किया है। इसलिए सारा श्रेय प्रधानमंत्री को जाता है। उन्होंने न केवल इन पुरावशेषों को वापस प्राप्त करने में मदद करने के प्रयास किए हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से विदेश में अपने आधिकारिक दौरे के दौरान उन्हें अपने साथ वापस भी लेकर आए हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने रेड्डी कहा इस तरह की और प्राचीन वस्तुएं देश में वापस लाई जाएंगी और उन्हें राज्यों को सौंपा जाएगा।’उन्होंने कहा कि मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत को 157 पुरावशेष लौटाए गए, जो भारत को अब तक मिला सबसे बड़ा एकल संग्रह है। उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में, सरकार 228 विरासत वस्तुओं को वापस लाई है।
तमिलनाडु सरकार को सौंपे गए पुरावशेषों के संग्रह में द्वारपाल, नटराज, कंकलमूर्ति कदयम, नादिकेश्वर कदयम, चतुर्भुज विष्णु, श्री देवी, शिव और पार्वती, स्थायी बाल संबंदर और बाल संबंदर आदि मूर्तियां शामिल हैं।
कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन के साथ संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, विदेश मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार के अधिकारी भी उपस्थित थे।

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