रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच भारत के विदेश मंत्री डॉ० एस० जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान मंगलवार को हुई 2+2 मंत्रियों की बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब भारतीय विदेश मंत्री भारत की रूस से तेल खरीदी पर सवाल पूछा गया तो जयशंकर ने कुछ ऐसा जवाब दिया जिसकी तारीफ हर तरफ हो रही है। यहां तक मोदी सरकार के विरोधी भी विदेश मंत्री के जवाब की तारीफ कर रहे हैं।
जयशंकर ने कहा- हम जितना ईंधन एक महीने में रूस से आयात कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा यूरोप हर रोज रूस से तेल आयात कर रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जयशंकर से भारत द्वारा रूस से तेल आयात करने को लेकर सवाल किया गया तो विदेश मंत्री ने कहा कि हम इस पूरे विवाद में चाहते हैं कि हिंसा रुके और इसे रोकने की दिशा में हर संभव मदद करने के लिए हम तैयार हैं। जहां तक ईंधन के आयात की बात है तो हां हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से तेल का आयात कर रहे हैं, लेकिन आपका ध्यान इस तरफ होने की बजाए यूरोप पर होना चाहिए। हम जितना ईंधन एक महीने में रूस से आयात कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा यूरोप हर रोज रूस से तेल आयात कर रहा है।
विदेश मंत्री के इस जवाब की सोशल मीडिया पर काफी तारीफ हो रही है। शिवसेना की प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी विदेश मंत्री की तारीफ की है। विदेश मंत्री के जवाब की प्रियंका चतुर्वेदी भी मुरीद हो गईं, उन्होंने विदेश मंत्री के बयान का वीडियो शेयर करते हुए लिखा ‘सुपर्ब’। अहम बात यह है कि शिवसेना अक्सर केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर हमलावर रहती है, लेकिन बावजूद इसके जिस तरह से प्रियंका चतुर्वेदी ने विदेश मंत्री की तारीफ की है उसके बाद हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है।
पिछले हफ्ते, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने भी एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि भारत का रूस से तेल आयात महज 1-2 प्रतिशत है। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से कहा गया था कि रूस पर दबाव बनाने के लिए तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने का किसी देश का फैसला व्यक्तिगत निर्णय है।
वहीं 2+2 वार्ता के दौरान ब्लिंकन ने भी जोर देकर कहा कि भारत को यूक्रेन संकट से निपटने के तरीके के बारे में अपने निर्णय खुद लेने होंगे। उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्रता, खुलेपन, संप्रभुता जैसे मूल्यों को साझा करते हैं। रूस के साथ भारत के संबंध दशकों में विकसित हुए हैं। ये संबंध उस वक्त विकसित हुए हैं जब अमेरिका भारत का भागीदार बनने में सक्षम नहीं था। लेकिन आज हम भारत का भागीदार बनने में सक्षम हैं और इच्छुक भी। उन्होंने आगे कहा कि हमारा मानना है… ये जरूरी है कि जो देश रूस से लाभ उठा रहे हैं, वो पुतिन पर युद्ध खत्म करने का दबाव बनाएं। हमें एक साथ आकर एक आवाज में बोलने की जरूरत है।