दुनिया भर में भारतीय अध्ययनों पर विभिन्न पीठों की स्थापना करने वाला भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में ‘बंगबंधु पीठ’ की स्थापना करेगा। इसको लेकर सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में आईसीसीआर के महानिदेशक दिनेश पटनायक और डीयू के कार्यवाहक कुलपति पीसी जोशी ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारत-बांग्लादेश के बीच तेजी से बढ़ते सामाजिक-आर्थिक विकास को देखते हुए इसको महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
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महत्वपूर्ण नवाचार, ज्ञान, समझ और संस्थानों के बीच के संबंधों के विकास में यह पीठ उत्प्रेरक का काम करेगी
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि मुझे यकीन है कि महत्वपूर्ण नवाचार, ज्ञान, समझ और संस्थानों के बीच के संबंधों के विकास में यह पीठ उत्प्रेरक का काम करेगी। हम बहुत जल्द ही इसकी अध्यक्षता के लिए किसी योग्य व्यक्ति का चुनाव कर लेंगे।
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आईसीसीआर बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के सम्मान में डीयू में स्थापित करेगा बंगबंधु पीठ
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इसकी पहल मार्च 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की आधिकारिक यात्रा के दौरान हुई थी। बंगबंधु पीठ का केंद्र बिंदु भारत की एक्ट ‘ईस्ट नीति’ और बांग्लादेश में विकास की बेहतर समझ पर है, जो भारत के सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसियों में से एक है। यह कदम दोनों देशों के बीच शिक्षा, कला और संस्कृति के क्षेत्र में आदान-प्रदान को मजबूत करेगा।
इस बारे में आईसीसीआर के महानिदेशक दिनेश पटनायक कहा कि आईसीसीआर बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को सम्मानित करने और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और भारत-बांग्लादेश राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए के लिए दिल्ली विश्वविद्लय में बंगबंधु पीठ की स्थापना कर रहा है।
वहीं इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्याल के कार्यवाहक कुलपति पीसी जोशी ने कहा कि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और अधिकार के प्रतीक बंगबंधु हम सभी के लिए एक आदर्श नायक थे। उन्होंने आगे कहा कि पहली बंगबंधु पीठ की स्थापना की मेजबानी करना हमारे लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
भारतीय उच्चायोग ढाका के उच्यायुक्त विक्रम दोराईस्वामी ने ककहा कि हम बंगबंधु पीठ के उम्मीद्वारों के चयन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय एवं आईसीसीआर के साथ मिलकर काम करेंगे। यही नहीं हम यह भी सुनिश्चित करेंगे की योग्य उम्मीद्वार के चयन पर सबकी आम सहमति बन सके।’
बंगबंधु पीठ को लेकर आईसीसीआर और डीयू के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) की अवधि पांच शैक्षणिक वर्षों की होगी। इसका अध्यक्ष बांग्लादेशी मूल की विजिटिंग प्रोफेसर होगा, जिसे भारत-बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत की जानकारी होने चाहिए। इसके अलावा मानव विज्ञान, बौद्ध अध्ययन, भूगोल, इतिहास या आधुनिक भारतीय भाषाओं (बांग्ला सहित) का विषय विशेषज्ञ हो।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)