भारतीय वायुसेना और भी होगी ताकतवर, अप्रैल 2021 तक 16 राफेल आएंगे भारत, जानें कब-कितने लड़ाकू विमानों की होगी लैंडिंग..

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चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भारत की ताकत में और भी इजाफा होने वाला है। पांच राफेल विमान के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत पहले ही और बढ़ गई है, मगर उसमें जल्द ही चार चांद लगने वाले है, क्योंकि राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी खेप जल्द ही भारत आ ही है। इस मामले से परिचित वायुसेना के अधिकारियों की मानें तो 5 नवंबर को तीन राफेल लड़ाकू विमान हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर पहुंच जाएंगे। इतना ही नहीं, भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक क्षमता अप्रैल 2021 तक और भी अधिक बढ़ जाएगी, क्योंकि इंडिनय एयरफोर्स के गोल्डन एरो स्क्वाड्रन बेड़े में तब तक 16 राफेल विमान शामिल हो जाएंगे। 

फिलहाल, भारतीय वायुसेना के बेड़े में पांच राफेल विमान शामिल हो चुके हैं। इसी साल 29 जुलाई को भारतीय वायु सेना के लिए तुरूप का इक्का माने जाने वाले पांच राफेल विमानों की पहली खेप फ्रांस से अबु धाबी होते हुए अंबाला एयरबेस आई थी। ये सभी लड़ाकू विमान इंडियन एयरफोर्स के 17वें स्क्वॉड्रन में शामिल हुए थे। वायु सेना ने 59 हजार करोड़ रुपये की लागत से फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद का सौदा किया है। 

वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, तीन राफेल लड़ाकू विमानों का अगला जत्था पांच नवंबर को बोर्डो-मेरिग्नैक एयरबेस से सीधे अंबाला पहुंचेगा। इस दौरान कहीं भी इन विमानों का पड़ाव नहीं होगा, क्योंकि ये हवा से हवा में ही ईंधन भरने की ताकत रखते हैं। बता दें कि फ्रांस में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण के लिए पहले से ही सात राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। राफेल लड़ाकू विमानों के दूसरे बेड़े को शामिल करने की तैयारियों के तहत भारतीय वायु सेना ने साजो-सामान संबंधी मुद्दों को देखने और वहां सेंट-डिजियर वायुसेना केंद्र पर चुनिंदा पायलटों के प्रशिक्षण की समीक्षा के लिए अधिकारियों के एक दल को फ्रांस भेजा है। 

अधिकारियों की मानें तो फ्रांस से तीन और राफेल विमान जनवरी में आएंगे। इसके अलावा, मार्च में तीन और अप्रैल में सात राफेल फाइटर जेट आएंगे। इस तरह से भारतीय वायुसेना को 21 सिंगल सीट वाले फाइटर जेट और सात दो सीट वाले फाइटर जेट सौंप दिए जाएंगे। इसका मतलब है कि अगले साल अप्रैल तक गोल्डन एरो स्क्वाड्रन के बेड़े में 18 फाइटर जेट राफेल शामिल हो जाएंगे और शेष तीन को पूर्वी मोर्चे पर चीन द्वारा उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के लिए उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार में हाशिमारा एयरबेस पर भेजा जा सकता है। 

दरअसल, सभी राफेल लड़ाकू विमान हवा से हवा और हवा जमीन पर मारक क्षमता वाली मिसाइलों से लैस हैं। हवा से हवा और जमीन दोनों में सटीक हमला करने से लेकर छोटे स्तर के परमाणु हथियार तक ले जाने में समक्ष हैं, मगर भारतीय वायुसेना राफेल जेट की क्षमता को और बढ़ाने के लिए उसे हैमर मिसाइल्स से लैस करने की तैयारी कर रही है। भारत ने अब सफरान से 250 किलोग्राम वारहेड के साथ एयर-टू-ग्राउंड मॉड्यूलर हथियार के लिए अनुरोध किया है। बता दें कि हैमर  यानी कि हाइली एजाइल एंड मैनोवरेबल म्यूनिशन एक्टेंडेड रेंज (Hammer) हवा से जमीन पर मार करने वाली रॉकेट के जरिए चलने वाली मिसाइल किट है।

गौरतलब है कि भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपए का सौदा किया था। 36 राफेल युद्धक विमानों को फ्रांस से खरीदने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले की घोषणा अप्रैल 2015 में की गई थी। इस समझौते पर एक साल से अधिक समय के बाद हस्ताक्षर किए गए थे।

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