लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। भारत ने चीन की किसी भी चाल को नाकाम करने के लिए पूरी तैयार कर ली है। भारतीय सेना ने छह टी-90 भीष्म मिसाइल फायरिंग टैंक और टॉप-ऑफ-द-लाइन शोल्डर फायर टैंक-विरोधी मिसाइल सिस्टम को गलवां घाटी में तैनात किया है।
वहीं, सीमा पर चल रहे तनाव के बीच, भारत और चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारी मंगलवार को तीसरी बार मुलाकात करेंगे। सीमा विवाद का हल ढूंढ़ने और सैन्य तनाव को कम करने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ रहा है।
सूत्रों ने बताया है कि 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण जिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच मंगलवार को चुशुल-मोल्डो में ‘बॉर्डर पर्सनल मीटिंग’ (बीपीएम) बिंदु पर बैठक होगी।
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए नदी के किनारों पर बख्तरबंद कर्मियों की तैनाती और टेंट लगाने के बाद सेना द्वारा टी-90 भीष्म टैंक को तैनात करने का निर्णय लिया गया है। भारतीय सेना एलएसी के अपने हिस्से के भीतर इस क्षेत्र में प्रमुख ऊंचाइयों पर कब्जा कर रही है।
155 एमएम हॉवित्जर के साथ पैदल सेना के वाहनों को पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ तैनात किया गया है। चीन की किसी भी आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए चुशुल सेक्टर में दो टैंक रेजिमेंटों को भी तैनात किया गया है।
इस क्षेत्र में वापसी करने के लिए चीनी सेना सौदे पर उतर आई है, हालांकि भारतीय सेना एक इंच जमीन छोड़ने के लिए भी तैयार नहीं है। बता दें कि, यह क्षेत्र बेहद ठंडा माना जाता है और यहां तापमान शून्य डिग्री से नीचे रहता है।